साइकिलॉट्रोन परिभाषा चित्र सिद्धांत बनावट- cyclotron ka sidhant bnawat tatha kary vidhi Cyclotron notes in Hindi

By | January 8, 2023
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यदि आप भी क्लास 12th मे पढ़ते हैं तो ये ब्लॉग आपके लिए साइकलोट्रोन के concept को क्लियर कर देगा ओर साथ हीं साथ बोर्ड की परीक्षा मे अच्छा नंबर दिला सकता है

साइकिलॉट्रोन की परिभाषा क्या है (what is definition of cyclotron)

Cyclotron की परीभाषा – साईकलोट्रॉन एक ऐसी युक्ति है जिसका उपयोग भारी आवेशित कणों को उच्च ऊर्जा तक त्वरित करने के लिए किया जाता है जैसे proton, अल्फा कण, ड्यूट्रॉन etc.

इन ऊर्जित कणों का प्रयोग नाभिकिय विघटन (nuclear diffusion) मे किया जाता है।

cyclotron का अविष्कार वैज्ञानिक E. O. LORENTZ और M. S Livingston ने 1934 मे किया था।

साइकलोट्रॉन का कार्य सिद्धांत क्या है? ( what is working principle of cyclotron)

साइकलोट्रॉन का कार्य सिद्धांत: किसी आवेशित कण को किसी विद्युत क्षेत्र मे से बार बार गुजार कर उसको काफी उच्च ऊर्जा तक त्वरित किया जा सकता है। आवेशित कण को विद्यत क्षेत्र के लम्बवत (perpendicular ) कार्यरत चुंबकीय क्षेत्र द्वारा रखने पर आवेशित कण काफी ऊर्जा प्राप्त कर लेता है तथा साथ हीं साथ त्वरित भी हो जाता है। यही साइकलोट्रॉन का कार्य सिद्धांत है।

अर्थात् जब विद्युत क्षेत्र लम्बवत हो चुंबकीय क्षेत्र के तो किसी आवेशित कण को त्वरित करके काफी उच्च ऊर्जा प्रदान किया जा सकता है जो आवेशित कण को वृतीय गति प्रदान करता है।

साइकलोट्रॉन की रचना या बनावट कैसी होती है (what is construction of cyclotron)

साइकिलॉट्रॉन मे दो खोखले धातु के आधे बेलन D1 तथा D2 लगे होते हैं जिनका आकार अंग्रेजी के D जैसा होता है इसलिए इन्हे cyclotron का डीज(Dees) कहा जाता है।

ये दोनों D निर्वात chamber मे एक दूसरे से अत्यंत अल्प दुरी पर रखे होते हैं।

इन दोनों Dees को एक शक्तिशाली नाल चूम्बक के ध्रुवखंड N तथा S के बिच लम्बवत रखे होते हैं।

ये दोनों D एक उच्च आवृत्ति दोलित्र(High Frequency Escillator) से जुड़े रहते है।

इनको बिच उच्च आवृत्ति का प्रत्यावर्ती विभावंतर स्थापित करने के लिए इन्हे उच्च आवृत्ति के दोलित्र से जोड़ा जाता है।

जिन धन आवेशित कणों को त्वरित करना होता है उन्हें इन dees के अंदर उनके केंद्र के निकट चुंबकीय क्षेत्र के तल के ऊपर प्रवेश कराया जाता है।

जिस कण को त्वरित करना होता है

जिसे त्वरित ऋणावेशीत कण आवेशित विक्षेपक प्लेट द्वारा इन dees से खिड़की(window) द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है तथा लक्ष्य से टकरवा करा दिया जाता है।

साइकलोट्रॉन का कार्य- विधि क्या है? ( what is working of cyclotron)

साइकलोट्रॉन का कार्य-विधि– जैसे हीं Dees के केंद्र के निकट S पर आवेशित कण प्रवेश करता है तो वाहाँ चुंबकीय क्षेत्र B इसके लम्बवत होता है जिसके कारण आवेशित कण वृत्तकार पथ पर गति करने लगता है।

आरोपित बाह्य चुंबकीय क्षेत्र तथा दोलीत्र इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है की जैसे हीं कण Dees से बाहर निकलता है तो Dees की पोलरिटी बदल जाती है।

जिसके कारण कारण कण पुनः त्वरित हो जाता है तथा और अधिक वेग से अधिक त्रिज्या के वृत्तकार मार्ग पर चलने लगता है।

यह क्रिया बार-बार होती रहती है और कण त्वरित होता रहता है।

त्वरित कण Dees मे बनी खिड़की(W) से बाहर निकलकर लक्ष्य की और विक्षेपित कर दिया जाता है।

लक्ष्य से इस त्वरित कण को उपयोग के लिए ले लिया जाता है।

formula in cyclotrons

  • वृताकार पथ की त्रिज्या (r) = mv/(qB)
  • D के भीतर अर्द्धवृत्त दुरी तय करने मे लगा समय (t) = πm/(qB)
  • प्रत्याव्रती दोलीत्र का अर्द्ध आवर्तकाल = (2πm)/(qB)
  • प्रत्यावर्ती विभावंतर की आवृत्ति = qB/(2πm)
  • कण द्वारा प्राप्त की गयी गतिज ऊर्जा (kinetic energy )= (q2 B2 r2)/(2m)

What is Limitations of cyclotron?(साइक्लोट्रॉन की सीमाएं क्या हैं?]

साइक्लोट्रॉन की सीमाएँ :-

  1. साइक्लोट्रॉन अनावेशित कणों को त्वरित नहीं कर सकता है।
  2. साइक्लोट्रॉन से निकलने वाले आवेशित कणों की ऊर्जा सिमित (limited) होती है, क्यूंकी वेग बढ़ने के साथ साथ द्रव्यमान भी chenge होता है।
  3. Cyclotron द्वारा electron त्वरित नहीं होते हैं, क्यूंकी electron का द्रव्यमान कम होता है तथा इनका वेग इतना तेजी से बढ़ता है की इन Dees के भीतर परिक्रमण आवृत्ति दोलीत्र की आवृत्ति से कम हो जाती है तथा electron resonance से बाहर परिक्रमण करने लगता है जिससे इका ऊर्जा बढना बंद हो जाता है।

What is Application of Cyclotron (साइक्लोट्रॉन के अनुप्रयोग क्या हैं?)

साइक्लोट्रॉन के अनुप्रयोग :(class 12th physics)

  1. साइक्लोट्रॉन द्वारा उच्च ऊर्जा तक त्वरित कण, नाभिकीय विघटन मे प्रयुक्त किये जाते हैं इसलिये साइक्लोट्रॉन का प्रयोग नाभिकीय संरचना ज्ञात करने मे किया जाता है।
  2. नाभिकीय रियेक्टर मे भी साइक्लोट्रॉन का उपयोग किया जाता है।
  3. Radioactive isotopes उत्पन्न करने मे हॉस्पिटल मे साइक्लोट्रॉन का युपयोग किया जाता है।
  4. साइक्लोट्रॉन का युपयोग आयनो को ठोसो मे व्यवस्थित करके उनके गुणों को change करके अर्थात् पेय पदार्थ बनाने मे किया जाता है।
CLASS 12TH physics CYCLOTRONE NOTES IN HINDI FOR STATE EXAMINATNATION FULL THEORY

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