दीन और रात कैसे बनता है | DAY AND NIGHT FORMATION
बहुत सरे लोग सोचते हैं की ये दिन क्यों होता है फिर अँधेरी रात क्यूँ हो जाती है आखिर ये है होता कैसे है, तो आप भी हो परेशान इन सभी तरह के सवाल से तो आप बिलकुल सही जगह पे आ गये हो|
यहाँ आज हीं आपका ये सारा डाउट क्लियर हो जायेगा
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दिन एवं रात बनेने की प्रक्रिया को समझने के लिए हमें पृथ्वी की ROTATION का समझ होना जरुरी है |
दिन और रात का बनना पृथ्वी के ROTATION पर निर्भर करता है|

पृथ्वी आपने अक्ष पर घूमते रहता हैं और सूर्य का प्रकाश , पृथ्वी के किसी न किसी भाग पर हमेशा पड़ता रहता है| और वहां पर दिन का टाइम रहता है |

जैसे हम Equator की बात करें तो वहां पर दीन और रात दोनों सामान यानि की बराबर होता है, लगभग 12-12 घंटे का होता है|
यदि हम Equator से जैसे जैसे दूर जाते हैं ध्रुव की तरफ तो दिनऔर रात की लम्बाई की अंतर बढ़ता जाता है और सबसे अधिक ये अंतर ध्रुव पर होता है, क्यूंकि वहां पर 6 महीनें लगभग दिन और 6 महीने लगभग रात होता है|
Season formation सीजन का आना और जाना

सीजन का आना और जाना यानि की सर्दी , वर्षा तथा गर्मी जैसे सीजन का बनना पृथ्वी के revolution और झुकाव पर निर्कभर करता है|
यही आप अगर अफ्रीका के सोमालिया, केन्या, यूगांडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो, गैबन में चले जांयें तो वहां वहां पे पुरे साल तक कंडीशन सामान बना रहता है|
क्यूंकि यहाँ पर बारीश ज्यदा होती है इसलिए यहाँ के मिटटी में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है| और खेती करने लायक नहीं रह जाती है|