प्रतिरोध का संयोजन किसे कहा जाता है? इंटरमीडिएट क्लास 12th bhoutiki notes
विभिन्न प्रयोगात्मक कार्यों में प्रयुक्त विद्युत परिपथ में वांछित वांछित मान की विधुत धारा प्राप्त करने के लिए उपलब्ध मान के प्रतिरोध के अलग-अलग मान के प्रतिरोध पर क़ो बनाना है जोड़ने की प्रक्रिया को प्रतिरोधों का संयोजन कहा जाता है
प्रतिरोधों का संयोजन करने की विधि method to combination of resistance
प्रतिरोध प्रतिरोध क़ो संयोजित करने की विधि कौन-कौन सी है?
प्रतिरोधों का संयोजन करने की दो विधियां हैं –
- श्रेणी क्रम संयोजन (series combination of resistance )
- समांतरक्रम संयोजन (parallel combination of resistance)
प्रतोरोधो का श्रेणी क्रम संयोजन किसे कहा जाता है?
जब किसी परिपथ में जब प्रत्येक प्रतिरोध का दूसरा सिरा इससे आगे वाले प्रतिरोध के पहले जिले से जुड़ा हुआ हो, पहले प्रतिरोध का पहला सिरा, तथा अंतिम प्रतिरोध का दूसरा सिरे के बिच कुंजी के द्वारा सेल या विद्युत वाहक स्रोत जुडा हो तो इस संयोजन क़ो प्रतिरोधो का श्रेणी क्रम संयोजन कहा जाता है।

श्रेणी क्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध मे प्रवाहित धारा का मान सम्मान होता है।
Rतुल्या =R1 + R2 +R3………………+Rn
श्रेणीक्रम संयोजन में तुल्य प्रतिरोध का मान सभी प्रतिरोधक के मान के योग के बराबर होता है।
प्रतिरोध के श्रेणी क्रम श्रेणी क्रम संयोजन की विशेषता क्या है? (Properties of series combination of resistance) class 12th physics resistance notes
प्रतिरोध की श्रेणी क्रम संयोजन की विशेषताऐं :
- प्रत्येक परिपथ मे प्रवाहित धारा का मान सम्मान होता है तथा यह परिपथ में प्रवाहित धारा के मान के बराबर है।
- परिपथ का परिणाम विभवांतर सभी प्रतिरोधों के सिरों के बीच के विभावंतर के योग के बराबर होता है।
- श्रेणी क्रम संयोजन से प्राप्त तुल्य प्रतिरोध का मान सभी प्रतिरोधों के मानो के योग के बराबर होता है।
- तुल्य प्रतिरोध का मान सभी उपलब्ध प्रतिरोधों के माने से भी अधिक होता है।
- तुल्य प्रतिरोध को बढ़ाने के लिए श्रेणी क्रम संयोजन का प्रयोग किया जाता है।
प्रतिरोधो का समांतरक्रम संयोजन किसे कहते हैं(what is parallel combination of resistance ) class 12th physics in hindi
जब किसी परिपथ मे लगे सभी प्रतिरोधो का पहला सिरा किसी एक बिंदु से तथा सभी प्रतिरोधो का दूसरा सिरा किसी अन्य बिंदु से जुडा हो तथा ये दोनों बिंदु किसी किसी कुंजी के द्वारा किसी सेल से जुडा हो तो इस प्रकार के संयोजन क़ो प्रतिरोधो का समांतरक्रम संयोजन कहते हैं।

जब अनेक प्रतिरोध समांतर क्रम में जुड़े हो तो उनके समांतर क्रम संयोजन के तुल्य प्रतिरोध का व्यूतक्रम अलग अलग प्रतिरोधो के व्यूतक्रमो के योग के बराबर होता है।
समांतरक्रम संयोजन मे सभी प्रतिरोधो के बिच टर्मिनल के बीच विभव का मान बराबर होता है।
1/Rतुल्य = (1/R1)+(1/R2)+(1/R3)+………………+(1/Rn)
प्रतिरोधो के समांतरक्रम संयोजन की विशेषताएं क्या हैं? What is benefits of parallel combination of resistance?
प्रतिरोधो क़ो समानतरक्रम मे जोड़ेने के विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
- समांतरक्रम संयोजन मे सभी प्रतिरोधो के टर्मिनल के बिच विभव का मान समान होता है।
- समानतरक्रम संयोजन से प्राप्त तुल्य प्रतिरोध का मान उस परिपथ मे लगे सभी प्रतिरोधो के मान से भी काम मान का होता है।
- परिपथ मे परिणामी धारा, संयोजन में प्रयुक्त प्रतिरिधो में प्रवाहित धाराओं के योग के बराबर होती है।
- समांतर क्रम में जोड़े जाने वाले प्रतिरोध, तारों की संख्या के बढ़ाने पर परिपथ का प्रतिरोध घटता है जिससे सेल या बैटरी से आने वाली धारा का मान बढ़ेगा |
- समनांतरक्रम संयोजन का प्रयोग परिपथ में तुल्य प्रतिरोध को कम करने के लिए किया जाता है|
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