वान डी ग्राफ जानित्र क्या है? वान डी ग्राफ जानित्र किस सिद्धान्त पर कार्य करता है, वान डी ग्राफ जानित्र कैसे काम करता है Van dee graff Generator Class 12th intermediate Science van dee graff generator notes in hindi pdf download

By | June 25, 2022

वान डी ग्राफ जनित्र क्या है? What is Van de Graff Generator?

वान डी ग्राफ जानित्र एक स्थिरविद्युत मशीन या जानित्र है जिसका उपयोग अतिउच्च विभवंतर लगभग एक लाख के range मे उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग नाभिकीय भौतिकी के अध्ययन मे अवेशित कणों को त्वरित करने के लिए किया जाता है।

Van de Graff Generator figure class 12th physics

वान डी ग्राफ जनित्र का उपयोग या प्रयोग कहा कहा किया जाता है?(Application of van-de-Graff Generator or machine)

  1. Van-de-Graff जानित्र का उपयोग उच्च विभवंतर उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
  2. प्रोटोन, ड्यूट्रोन, अल्फा कणों को त्वरित करने मे किया जाता है।
  3. नाभिकीय भौतिकी के अध्ययन मे अलग अलग तीव्रता के विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करने के लिये किया जाता है।

वान डी ग्राफ जानित्र का कार्य सिद्धांत क्या है? वान डी ग्राफ जानित्र किस सिद्धांत पर काम करता है? What is working principle of van-de Graff generator?

van de graff जानित्र का कार्य सिद्धांत दो तथ्यों पर आधारित है:-

  1. चालकों के नुकिले भागो से विद्युत अनावेशन या विसर्जन तथा
  2. खोखले गोलाकार चालक पर दिया गया आवेश बाहरी सतह पर एक समान रूप से फैल जाने के सिद्धात्त पर आधारित है।

वान डी ग्राफ जानित्र की रचना या बनावट कैसे है? What is construction of van-de-graff Generator?

वान डी ग्राफ जानित्र मे एक highly polished धातु का गोला स होता है जो दो अचालक स्टैंड S1 और S2 पर रखा जाता है।

यह गोला पृथ्वी से earthing किया हुआ रहता है।

इसमें के विद्युत मोटर M होता है जिसकी सहायता से pully P1 तथा P2 को विद्युतरोधी रबर या सिल्क के बेल्ट से ऊपर की ओर घुमाया जाता है।

इसमें एक कंघी C1 लगी होती है जिसे spray Comb कहा जाता है जो नुकिला होती है तथा उच्च विभव वाले स्रोत से जुडा होता है, जिससे की यह बेल्ट पर धन आवेश का बौछार करता है।

एक दूसरी कंघी C2 लगी होती है जो गोला S से जुडी रहती है जिसे संग्रहक कंघी कहा जाता है जो त्वरित आवेश को इकठा (collect) करती है।

जिन आयन को त्वरित करना होता है उनको discharge tube D मे उत्पन्न किया जाता है तथा आयन स्रोत D ko गोले S के अंदर नली के ऊपरी सिरे पर रखा होता है तथा इसके निचले सिरे पर लक्ष्य नाभिक लगा होता है जो पृथ्वी से जुडा रहता है।

यह सम्पूर्ण यंत्र स्टील के कक्ष C मे बंद रहता है जिसके अंदर उच्च दाब पर मीथेन या Nitrogen गैस भरी रहती है।

वान डी ग्राफ जानित्र कैसे काम करता है? (How van-de-Graff generator work?)

जब कंघी C1 को उच्च voltage (H.T) वाले स्रोत से जोड़ा जाता है तो उसके नुकीले भाग से अनावेशन (Discharging) शुरू हो जाता है तथा विसर्जन के कारण एक धनावेशित पवन यानि की हबा स्थापित हो जाता है जो बेल्ट पर धनावेश की बौछार करने लगता है| इस घटना को प्रभामंडल आवेशन (corona discharge) कहा जाता है|

धनावेश बेल्ट की सहायता से उपर की और गतिमान हो जाता है तथा जैसे हिं कंघी C2 के पास पहुचता है तो स्थिरविद्युत् प्रेरण के कारण C2 के नुकीले भाग पर ऋणात्मक आवेश तथा कंघी C2 दुसरे साइड में धनात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है |

यह धनावेश जल्दी से हीं गोले S के बाहरी सतह पर स्थानांतरित हो जाता है जिससे गोले S के बहरी सतह पर धनावेश लगातार बढ़ता जाता है |

जब गोले S पर आवेश आधिक मात्रा में हो जाते हैं तो इसपे से आवेश क्षरण (Leakage) होने लगते हैं जिसे रोकने के लिए इसको स्टील के कक्ष(cell) में रख दिया जाता है जिसके अंदर Nitrogen या Methane (मीथेन) गैस भर दिया जाता है|

इस पुरे उपकरण को भू-संपर्कित(Earthing) कर दिया जाता है|

विसर्जन नली T का उपरी सीरा गोले S के अंदर स्थित होने के कारण इसमें आवेशित कणों का विभव इस के निचले भाग जो earthing होता है, में उपस्थित कणों से अधिक होता है|

अतः नली के दोनों सीरो में उपस्थित कणों के बिच का विभवान्तर काफी अधिक होने के कारण नली के उपर हिस्से में उपस्थित कण (जैसे-अल्फा कण) कम विभव वाले कणों की तरफ अर्थात नली में निचे की और त्वरित हो जाते हैं|

और काफी अत्यधिक उर्जा (U=qV) प्राप्त कर लेते लेते हैं तथा नली से निकलने के बाद लक्ष्य नाभिक से टकराते हैं|

वान डी ग्राफ जनित्र के दोष क्या हैं? या वान डी ग्राफ जनित्र के अवगुण क्या है? या वान डी ग्राफ जनित्र की कमियां क्या हैं? (What is demerits of van-de-Graff Generator or machine?)

वान डी ग्राफ जनित्र के दोष निम्नलिखित हैं:-

  1. वान डी ग्राफ जनित्र बहुत खतरनाक होते हैं क्यूंकि ये काफी अधिक मात्रा में आवेश को संचित करते हैं|
  2. वान डी ग्राफ जनित्र बहुत ज्यादा महंगे होते हैं|
  3. वान डी ग्राफ जनित्र का आकार बहुत बड़ा होता है|
  4. वान डी ग्राफ जनित्र बहुत हीं भारी होते हैं|
  5. वान डी ग्राफ जनित्र को एक जगह से दुसरे जगह ले जाना मुस्किल होता है|
  6. वान डी ग्राफ जनित्र के डायरेक्ट सम्पर्क में आने से खतरा होने की संभावना रहता है|

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