जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा कि किन बातों का अनुशरण करना चाहिए और किनका नहीं। उसे अच्छाई और बुराई का भी ज्ञात होगा और अंततः उसे सर्वोत्तम का भी ज्ञान होगा।

नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्त्तव्य का पालन  न कर रहा हो, रिश्तेदार की परीक्षा तब करें जब आप मुसीबत मे घिरें हों, मित्र की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों मे करें, और जब आपका वक्त अच्छा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करे।

जो मौन रहते हैं और कम बोलते है वे विवादों से दूर रहते हैं।

जो जागृत रहते है वो सदैव निर्भय रहते है उन्हें किसी का भय नहीं होता है।

नहीं खाओगे ठोकरें सफर में तो मंजिल की अहमियत कैसे जानोगे और अगर नहीं टकराओगे गलतियों से तो फिर सही को कैसे पहचानोगे।

परिश्रम करने वालों के ऊपर हमेशा लक्ष्मी जी की कृपा होती है और ऐसे लोग सभी प्रकार के सुखों को प्राप्त करने की क्षमता रखते है।

इस दुनिया में किसी भी सफल आदमी से पूछ लेना कि समय की क्या महिमा है सारा खेल समय का है जिसने इसकी इज्जत कर ली समय उसी का होगा

चाणक्य नीति कहती है कि इंसान को हमेशा गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए। और इसके लिए व्यक्ति को धर्म,अनुशासन और नियमों का पालन करना पड़ता है।

गंभीर और धैर्यवान व्यक्ति सदैव विवादों से दूर रहते हैं।