इस ब्लॉग में हम पढ़ेंगे नेत्र की परिभाषा, नेत्र के अंगों के नाम, नेत्र में क्या-क्या होता है, और नेत्र में प्रतिबिंब कैसे बनता है!
नेत्र की परिभाषा क्या है?
नेत्र की परिभाषा – नेत्र एक प्रकाश के यंत्र जिसकी सहायता से किसी वस्तु का प्रतिबिंब नेत्र के रेटिना पर प्रक्षेपित या बनाया जाता है|
नेत्र लेंस एक के अत्यंत कोमल अनमोल तथा प्रकाशिक यंत्र है जो किसी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर बनाता है |
नेत्र (आँख ) की बनावट कैसी होती है ( construction of human eye)
नेत्र की बनावट: मानव के नेत्र की बनावट लगभग गोलाकार है नेत्र की बनावट गोलाकार होने का कारण नेत्र में उपस्थित कचाभ द्रव( vitrous humour) के कारण होता है |
नेत्र के भाग
- दृढ पटल (sclerotic ): नेत्र का सबसे पीछे का भाग जो एक अपारदर्शी श्वेत परत से ढका रहता है जिसे दृढ़ पटल कहा जाता है |
- कॉरनिया (Cornea ): नेत्र के सामने क्यों बने हुए भाग जो उजला दिखाई देता उसे कॉर्निया कहा जाता है | यह transparent membrane होता है |
- जलीय द्रव (Aquas Humour ) : कॉर्नया के ठीक पीछे एक liquid भरा होता है उसे जलीय द्रव कहते हैं |
- आईरिस [iris ] – जलीय द्रव के ठीक पीछे एक पतला layer होता है उसे iris कहा जाता है |
- नेत्र तारा या पुतली [pupil ]: iris के बिच मे एक छोटा सा छिद्र होता है उसे पुतली कहाँ जाता है | पुतली का आकार छोटा और बड़ा स्वयं हीं होता है |प्रकाश जब अधिक मात्रा मे पड़ता है तो iris फैल जाता है और छिद्र छोटा हो जाता है |तथा प्रकाश कम पड़ने पर iris सिकुड़ जाता है और यह छिद्र बड़ी हो जाती है |
- नेत्र लेंस पुतली[pupil ] के पीछे स्थित होता है |
- सिलियरी मांसपेसीय [ciliary muscles ) : आंख का लेंस जिस muscle द्वारा लटका या स्थित होता है उसको ciliary muscle कहते हैं |
- कचाभ द्रव (vitreous humour): नेत्र लेंस के पीछे स्थित द्रव का नाम कचाभ द्रव होता है|